वैसे हमारे पिताजी काफी चर्चित कवि है, काफी कवितायें प्रकाशित हो चुकी हैं उनकी. पर हममें उनका ये गुण ना के बराबर है. हमारी कवितायें पद्य कम ऑर गद्य ज्यादा लगतीं हैं. लेकिन घबरायीयेगा नहीं! आपको हमारी कवितायें सुनने का सॉभाग्य प्राप्त नहीं होगा. वो तो अधिकतर हम एवं हमारी तन्हायीयों तक ही सीमित हैं.
वैसे अमेरिका मै रहकर हिंदी के संपर्क मैं रहना बडा ही सुखद अनुभव है. मालूम होता है की हमारा अस्तित्व अभी भी बाकी है. वैसे मैं यहां अपने बारे मै बात कर रहा हूं पर ये शायद सभी लोगों को महसूस होता हो!
पता नहीं ये शॉक हमें कहां लेकर जायेगा; लेकिन अपने आप से जुडे रहने का इससे अच्छा तरीका हमें तो नहीं सूझा भाई. आप को सूझे, तो हमें जरूर बताईयेगा.
शुभ दिपावली.